1. वास्तु ग्रन्थ 'मयतम् ' में कहा गया है की जिस प्लाट पर भवन, घर का निर्माण करना हो, वहां पर बछड़े वाली गाय बांधने से वास्तु दोषों का स्वतः निवारण हो जाता है। नवजात बछड़े को जब गाय दुलार कर चाटती है तो उसका फेन भूमि पर गिर कर उसे पवित्र बनता है और वहां होने वाले समस्त दोषों का निवारण हो जाता है ।
2. महाभारत के अनुशासन पर्व में कहा गया है कि गाय जहां बैठ कर निर्भयतापूर्वक सांस लेती है, उस स्थान के सारे पापों को खींच लेती है। निविष्टं गोकुलं यत्र श्वासं मुञ्चति निर्भयम् | विराजयति तं देशं पापं चास्यपकर्षति ||
3. सनातन धर्म के ग्रंथो में कहा गया है कि - सर्वे देवाः स्तिथा देहे सर्वा देवमयी हि गौ:। गाय के देह में समस्त देवी-देवताओं का वास होने से यह सर्वदेवमयी है।
4. घर के आँगन में गाय रखने से घर सुखी और समृद्धिशाली बनता है। आँगन में गाय के होने पर घर के सभी वास्तुदोषों का बुरा प्रभाव स्वयं ही नष्ट हो जाता है।
5. यदि कोई व्यक्ति गाय घर में नहीं रख सकता तो उसे सुबह शाम भगवान के सामने गाय के दूध से बने घी का दीपक लगाना चहिये। गाय के घी के दीपक से घर के वास्तु दोष दूर होते है। इसके प्रभाव से घर कई ऋणात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी निष्क्रिय होता है। घर का वातावरण शुद्ध होता है और परिवार के सदस्य निरोगी बने रहते है।
6. प्रातः स्नान के पश्चात गाय माता को स्पर्श करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
7. गौमूत्र भी वास्तुदोषों को दूर करने में लाभकारी है। घर में गोमूत्र छिड़कने से सभी वास्तुदोष निष्क्रिय हो जाते है। गौमूत्र के प्रभाव स घर में फैले सभी कीटाणु नष्ट हो जाते है।
8. गाय के पाँव की धूली का अपना महत्व है। गाय के पैरों में लगी हुई मिट्टी का तिलक करने से तीर्थ-स्थान का पुण्य मिलता है।
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