Tuesday 14 July 2020

पद्म पुराण में गौ की व्याख्या


Jai gau mata
 पद्म पुराण में कहा गया है–
गौ को अपने प्राणों के समान समझे, उसके शरीर को अपने ही शरीर के तुल्य माने, जो गौ के शरीर में सफ़ेद और रंग-बिरंगी रचना करके, काजल, पुष्प, और तेल के द्वारा उनकी पूजा करते है, वह अक्षय स्वर्ग का सुख भोगते है. जो प्रतिदिन दूसरे की गाय को मुठ्ठीभर घास देता है, उसके समस्त पापों का नाश हो जाता है जैसे ब्राहमण का महत्व है, वैसे ही गौ का महत्व है, दोनों की पूजा का फल समान है. भगवान के मुख से अग्नि, ब्राह्मण, देवता और गौ - ये चारो उत्पन्न हुए इसलिए ये चारो ही इस जगत केजन्मदाता है.गौ सब कार्यों में उदार तथा समस्त गुणों की खान है .गौ की प्रत्येक वस्तु पावन है, गौ का मूत्र, गोबर, दूध, दही और घी, इन्हे “पंचगव्य” कहते है इनका पान कर लेने से शरीर के भीतर पाप नहीं ठहरता .जिसे गाय का दूध दही खाने नहीं मिलता उसका शरीर मल के समान है.
“ घृतक्षीरप्रदा गावो घृतयोन्यो घृतोद्भवा:. 
      घृतनघो घ्रातावर्त्तास्ता में सन्तु सदा गृहे” ..
जो गौ की एक बार प्रदक्षिणा करके उसे प्रणाम करता है वह सबी पापों से मुक्त होकर अक्षय स्वर्ग का सुख भोगता है . गौ के
१. सीगों में भगवान श्री शंकर और श्रीविष्णु सदा विराजमान रहते है.
२. गौ के उदर में कार्तिकेय, मस्तक में ब्रह्मा , ललाट में महादेवजी रहते है.
३. सीगों के अग्र भाग में इंद्र, दोनों कानो में अश्र्वि़नी कुमार, नेत्रो मे चंद्रमा और सूर्य, दांतों में गरुड़,जिह्वा मेंसरस्वती देवी का वास होता है .
४. अपान (गुदा)में सम्पूर्ण तीर्थ , मूत्र स्थान में गंगा जी , रोमकूपो में ऋषि , मुख और प्रष्ठ भाग में यमराज का वास होता है .
५. दक्षिण पार्श्र्व में वरुणऔर कुबेर, वाम पार्श्र्व में तेजस्वी और महाबली यक्ष, मुख के भीतर गंधर्व , नासिका के अग्र भाग में सर्प , खुरों के पिछले भाग में अप्सराएँ वास करती है.
६. गोबर में लक्ष्मी , गोमूत्र में पार्वती , चरणों के अग्र भाग में आकाशचारी देवता वास करते है .
७. रँभाने की आवाज में प्रजापति और थनो में भरे हुए चारो समुद्र निवास करते है. 
जो प्रतिदिन स्नान करके गौ का स्पर्श करता है और उसके खुरों से उडाई हुई धुल को सिर पर धारण करता है वहमानो सारे तीर्थो के जल में स्नान कर लेता है, और सब पापों सेछुट जाता है.
दान का महत्त्व 
ब्राहमण को सफ़ेद गौ दान करने से, मनुष्य ऐश्वर्यशाली होता है. धुएं के समान रंग वाली गौ स्वर्ग प्रदान करने वाली होती है.कपिल गौ का दान अक्षय फल देने वाला है,कृष्ण गौ का दान देकर मनुष्य कभी कष्ट में नहीं पड़ता. भूरे रंग की गाय दुर्लभ है, गौर रंग वाली गाय कुल को आनंद प्रदान करने वाली होती है मन, वचन, क्रिया, से जो भी पाप बन जाते है, उन सबका कपिला गौ के दान से क्षय हो जाता है जो दस गौए और एक बैल दान करता है तो छोडे हुए सांड अपनी पूँछ से जो जल फेकता है, वह एक हजार वर्षों तक पितरो केलिए तर्प्तिदायक होता है, सांड या गाय के जितने रोएँ होते है उतने हजार वर्षों तक मनुष्य स्वर्ग में सुख भोगता है. जो गौ का हरण करके उसके बछड़े की मृत्यु का कारण बनता है वह महाप्रलयपर्यंन्त कीडों से भरे हुए कुँए में पड़ा रहता है, गौओ का वध करके मनुष्य अपने पितरो के साथ घोर रौरव नर्क में पड़ता है.
“जय जय श्री राधे ”




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